Monday, November 10, 2008

शेर-शायरी



दिन हुआ है तो रात भी होगी,
हो मत उदास कभी तो बात भी होगी,

इतने प्यार से दोस्ती की है खुदा की कसम
जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी।
कोशिश कीजिए हमें याद करने की,
लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे,
तमना कीजिए हमें मिलने की,
बहने तो अपने आप ही मिल जायेंगे .
महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती
इश्क से ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती ,
अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त का
तो ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती
सितारों के बीच से चुराया है आपने ,
दिल से अपना दोस्त बनाया है आपको ,
इस दिल का ख्याल रक्गना ,
क्योंकि इस दिल के कोने में बसाया है आपको .
अपनी ज़िन्दगी में मुझे शरिख समझना ,
कोई गम आये तो करीब समगाना ,
दे देंगे मुस्कराहट आंसुओं के बदले ,
मगर हजारों दोस्तो में अज़ीज़ समझना ..
हर दुआ काबुल नहीं होती ,
हर आरजू पूरी नहीं होती ,
जिन्हें आप जैसे दोस्त का साथ मिले ,
उनके लिए धड़कने भी जरुरी नहीं ,

1 comment:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

युद्ध-काल में प्रेम-राग अच्छा नहीं लगता.
रण-भूमि में कोई डांस सजा नही करता.
कितने भी मासूम आप हों मगर जान लें,
विद्वत-परिषद में मासूम भला नहीं लगता.