मेरे दिल की आवाजतेरी तारीफ में मेरे शब्दों की शायद किताब सिमट गई, लगता है मेरे हाथों से तेरे नाम की लकीर मिट गई,
सुना था नाजुक होती है डोर जमाने में प्यार की,
इजहार करने पे ना जबाव मिला तो लगाया
मेरे प्यार की डोर चटक गई,तुझे देखकर लगता है,
कभी नहीं भूल पाऊंगा तेरे प्यार को,
तेरे बिना जीने की तमन्ना न करता तो
शायद ठीक था पर यार मेरी तो शायद
किस्मत हो गईमिलता है प्यार किसी को इकरार या इन्कार में,
पर मुझे तो इन्कार भी नसीब ना हुआ,
शायदमेरी वफा भटक गई,
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