
इस फैशन से हिन्दुस्तान तबाह हो रहा है।
मैं क्या-क्या बताऊ कि क्या हों रहा है।
न नंगा न ढका है कोई,
न नंगा न ढका है कोई,
न पजामा न सलवार है कोई ,
न इज्जत न शर्म है कोई ,
जिसे देखो वो ही अर्धनग्न पर फिदा हो रहा है।
इस फैशन से हिन्दुस्तान तबाह हो रहा है।
ना विधवा सुहागन की पहचान ,
ना विधवा सुहागन की पहचान ,
कोई ना ब्याही कंवारी का ज्ञान है कोई ,
ना गुरूजनों का ही है सम्मान कोई ,
जिसे देखों वो ही फैशन में खो रहा है।
इस फैशन से हिन्दुस्तान तबाह हो रहा है।
ना मंदिर ना मस्जिद ना गुरूद्वारे जाना,
ना मंदिर ना मस्जिद ना गुरूद्वारे जाना,
ना बडो के आगे सिर को झुकाना ,
बस आठो पहर चेहरे को सजाना
ऐसा ही अब सुबह शाम हो रहा है।
इस फैशन से हिन्दुस्तान तबाह हो रहा है।
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