Saturday, November 8, 2008

हरियाणा में भी चली पॉप की आंधी


पंजाब में आई संगीत क्रांति की नकल करते हुए हरियाणा वासियों द्वारा पंजाबी गायिकी की तर्ज पर हरियाणवी पॉप गायिकी लोगों को परोसी जा रही है। मुनाफा बढाने के लिए निजी परिवहन क्षेत्र में भी संगीत को एक हथियार के रुप में बरता जा रहा है। तनाव को दूर करने के लिए संगीत सुनना गलत हो सकता है, लेकिन संगीत के नाम पर अश्लीलता भरे भद्दे गीत सुनना कहा तक उचित है। हरियाणा की बड़ी कम्पनियों की बसों में सवारियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बसों में वीडियों व ऑडियों यंत्र फिट किए हुए है। संगीत आज एक व्यवसाय बनकर रह गया है। संगीत के नाम पर युवा वर्ग के लड़के व लड़कियां अपना भविष्य उज्जवल बनाने के लिए हाथ पैर मार रहे है। आज से करीब बीस साल पहले हमारे समाज में विवाह, शादियों व खुशी के मौके पर घरों में जो गीत व संगीत सुना जाता था, वो शर्म व हया से भरपूर होता था। आज के संगीत से शर्म व हया खुद शर्मशार होकर अपना सिर छुपाती फिर रही है। सास-बहू, देवर-भाभी, मां-बेटे व अन्य रिश्तों पर सामाजिक गीतों का प्रचलन होता था। खेती बाड़ी व देशभक्ति वाले गीत सुनने को मिलते थे। परंतु आज पश्चिमी सभ्यता हमारे ऊपर हावी हो रही है। आज बसों, गाड़ियों में अश्लीलता भरे गीत जैसे ÷मैडम बैठ बलेरो में स्पेशल तेरी खातिर लाया÷ सुनने को मिलते है। हमारी पुरानी हरियाणवी संस्कृति सिकुडती जा रही है। पहले यहा गांव की बेटी को पूरे गांव की बेटी माना जाता था। परंतु आज के युग में बहन, बेटियां अपनो से भी सुरक्षित नही हैं। बसों व मैरिज पैलेसों में हो रही अश्लीलता हमारी विरासत नही है। बसों में बाप-बेटी, भाई-बहन या मां-बेटे जब इक्कठे सफर करते है तो अश्लीलता भरे गाने सुनने को मिलते है, जिससे सिर शर्म से झुक जाता है और ये पवित्र रिश्ते शर्मशार हो जाते है। हमारे ग्रामीण लोग तो लड़की को पढाने में पहले ही कतरातें है। इस तरह के गीत, संगीत सुनकर कया मां-बाप अपनी बेटियों को स्कूल व कॉलेज भेजने की हिम्मत कर सकेंगे। ऐसा वातावरण ही भू्रण हत्या को बढावा दे रहा है। गर्भ में भू्रण हत्या करके समाज में स्त्री-पुरुष अनुपात काफी गिरता जा रहा है। युवा पीढ़ी को भटके हुए रास्ते से बचाना होगा। जैसे फिल्मों में सेंसर की मंजूरी के बिना फिल्मों को चलाना प्रतिबंधित है। उसी प्रकार सरकार को ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे अश्लीलता भरे गीत व संगीत बाजारों में आने से पहले सेंसर की कसौटी पर खरा उतरे , जिससे ऐसे अश्लीलता भरे गीत बाजार में न आ सके। आज टीवी का कोई भी चैनल लगाए वहां पर पंजाबी व हरियाणवी को मिक्स करके एल्बम चल रहे है। अश्लीलता का नंगा नाच हो रहा है। दूध जैसे सफेद हरियाणवी संस्कृति सभ्य समाज में छोटी सोच के जो लेखक अश्लील गीत व रागनियां लिखकर समाज को अश्लील व दूषित कर रहे है, उन पर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।ै क्या हमारे हरियाणा के अनोखे व देशभक्त शूरवीर लोग गुरुओं के सच्चे वारिस इस अश्लीलता को यो ही बर्दाश्त करते रहेगें। यह हमारे लिए शर्मनाक विषय है। हमें अपने युवा पीढ़ी की गिरती हुई मान-मर्यादा को बचाने के लिए युवाओं को जागरुक करना होगा। हमारा हरियाणा जो दूध , दही का खाना कहलाने वाला मेरा यह प्यारा प्रदेश आज नशे व अश्लीलता की जकड़न में जकड़ता चला जा रहा है। जोकि सोचने का विषय है। हमें इस पर विचार करना चाहिए।

पवन कुमार

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