Tuesday, November 11, 2008


तुम ने चाह ही नही ,


हालत बदल सकते थे...


तेरे आंसू मेरी aankho से निकल सकते थे॥


तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह ......


दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे...

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