वो दिन चले गए, जब स्त्री और पुरुष को समान समझा जाता था। प्रत्येक कार्यक्रम में स्त्री की उपस्थिति को अनिवार्य समझा जाता था। चाहे वो सांस्कृतिक हो या राजनैतिक सभी में स्त्री की उपस्थिति को अनिवार्य समझा जाता था। स्त्री को देवी का दूसरा रूप माना जाता था। परन्तु अब सब कुछ बदल गया है। आजकल लोग लड़की को समाज बोझ समझते है। लड़की को जन्म से पहले ही गर्भ में मार दिया जाता है। कुछ लोग तो लड़की के जन्म पर बहुत अधिक दुखी होते है। वे सोचते है कि लड़की की शादी पर बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ेगा, इसलिए वे लड़कियों को गर्भ में ही मार देते है। इसके कई कारण है। इसका पहला कारण दहेज प्रथा है। लड़कियों के माता-पिता का मानना है कि लड़की की शादी पर बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ता है और लड़कियों के पालन-पोषण का उन्हें कोई लाभ नही मिलता। जिसके कारण लोग लड़की को गर्भ में ही मार देते है। इसका दूसरा कारण लोगों की छोटी सोच है। लोग लड़की की अपेक्षा लड़के को अधिक महत्व देते है, क्योंकि लोगों का मानना है कि लड़की बेगानी होती है। कुछ समय साथ रहने के बाद वह दूसरे घर यानि अपनी ससुराल चली जाती है। लोगों का मानना है कि विवाह के बाद लड़का ही अपने वंश को आगे बढ़ाता है और अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। लड़का ही बूढे मां-बाप का सहारा बनता है। इसलिए लोग लड़की को गर्भ में की मार देते है। इसका तीसरा कारण वे लालची डॉक्टर है जो चंद सिक्को के लिए लड़की को गर्भ में ही मार देते है। कुछ डॉक्टर ऐसे लालची है जो कुछ पैसो के लिए लड़की को गर्भ में मारने के लिए तैयार हो जाते है। वे अपने पद का गलत फायदा उठाते है। ऐसे डॉक्टर समाज पर कलंक है। इन डॉक्टरो की वजह से भी भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिलता है। कुछ हद तक स्त्रियां भी इसके लिए जिम्मेवार हो सकते है। वे अपने परिवार के दबाव में आकर लड़की को गर्भ में ही मार देती है। वे अपनी ममता को कुचलने के लिए मजबूर हो जाती है। वे अपने परिवार के सामने गूंगे तथा बहरे जानवर की तरह बनकर रह जाती है। स्त्रियों को अपनी इस सोच को बदलना चाहिए। स्त्रियों को इसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। लोगों को इस बात को समझना चाहिए कि आखिर लड़के और लड़की में फर्क कैसा। दोनो की त्वचा एक जैसी है तथा दोनो का खून भी लाल है। फिर लड़के और लड़की में फर्क क्यों किया जाता है। लोगों को अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा, तभी इस बुराई को दूर किया जा सकता है। सरकार को भी इस बुराई की ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिससे भ्रूण हत्या की इस बुराई को दूर किया जा सके। भ्रूण हत्या को बढावा देने वाले तत्वों को खत्म करना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया जाए तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। जो डॉक्टर चंद सिक्कों के लिए लड़की को गर्भ में मार देते हैं उनका लाइसैंस रद्द कर देना चाहिए तथा उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ताकि और डॉक्टर इस काम को अंजाम देने की कोशिश न करें। ऐसा करके ही हम भ्रूण हत्या की इस बुराई को दूर कर सकते हैं। पवन राठौड़
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