
उनकी जान से बोझ हटे जारी ऐसा फरमान करो।
देखो रेल के इंतजार में प्लेटफार्र्म पे बैठे हैं,
जेब के पैसे खत्म हो गए अब कोई ऐलान करो।
गुंडागर्दी किसी की भी हो देश में संकट बढ़ता है,
तोड़-फोड़ को राह बनाकर मत इतना नुकसान करो।
वादों की इस नाकामी से बेकाबू हो जाते हैं,
इन बेकार जवानों की जलती राहें आसान करो।
दंगो की जलती ज्वाला में मत सब कुछ श्मशान करो,
आम आदमी आम न रहे कुछ तो ऐसा ध्यान करो।
पवन कुमार
No comments:
Post a Comment