Friday, October 24, 2008

मुद्रा स्फीति

मुद्रा स्फीति का अर्थ है मुद्रा की मात्रा में फैलाव या मुद्रा का अत्यधिक प्रसार , जिससे कीमतों में वृद्धि होती है । इस मुद्रा स्फीती से अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में मंदी आ जाती है जैसे भारत में कपड़ा उत्पाद मूल्य बढ़ जाने पर इन उत्पादों की मांग में गिरावट आ जाती है, लोग केवल बेहद ज़रूरी माल ही खरीदते हैं। इससे उद्योग ठप्प पड़ जाते हैं। देश में अर्थवयवस्था गड़बड़ा जाती है। मुनाफाखोरों को लाभ होने लगता है और नौकरीपेशा संकट में पड़ जाते हैं। भ्रष्टाचार कालाबाजारी और सट्टेबाजी बढ़ती है। कठोर श्रम की इच्छा शक्ति में भी कमी आ जाती है। चीज़ों की क़ीमतों में बढ़ोतरी और मुद्रा की क़ीमत में कमी को वैज्ञानिक ढंग से सूचीबद्ध करना मुद्रा स्फीति का काम होता है। इससे ब्याज दरें भी तय होती हैं। जब मुद्रा का मूल्य घटने लगता है तो कीमते बढ़ने लगती है तथा रूपये की कीमत में कमी होने लग जाती है ,मुद्रा स्फीति कहलाती है

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