Tuesday, December 2, 2008



होड़ लगी है आतंवाद की ।


देववाद की दनुजवाद की की ॥


मानवता को पूछो कौन ।


देखो तो सब पडे है मौन ॥


कुचल रहा है सबको देखो ।


आंतक नाश के बहाने से ॥


फेल रहा है उसका देखो ।


अपना पैर ठिकाने से ॥


किसको छोड़ा किसको बख्शा ।


जन नही तो जानो आज ॥


काबुल और कंधार को देखो ।


देखो भारत की बिगड़ी साज ॥


फांसी चढ़ते सद्दाम को देखो ।


देखो लुटती अबला की लाज ॥


इजरायल कब रोया है ।


याद करो उस को भी तुम ॥

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