
होड़ लगी है आतंवाद की ।
देववाद की दनुजवाद की की ॥
मानवता को पूछो कौन ।
देखो तो सब पडे है मौन ॥
कुचल रहा है सबको देखो ।
आंतक नाश के बहाने से ॥
फेल रहा है उसका देखो ।
अपना पैर ठिकाने से ॥
किसको छोड़ा किसको बख्शा ।
जन नही तो जानो आज ॥
काबुल और कंधार को देखो ।
देखो भारत की बिगड़ी साज ॥
फांसी चढ़ते सद्दाम को देखो ।
देखो लुटती अबला की लाज ॥
इजरायल कब रोया है ।
याद करो उस को भी तुम ॥
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