
उठ जवान हिंद के...
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
पुकारती है कश्मीर की घाटियां तो आओ रे।
बिछड़ रहा वो स्वर्ग, उठ जरा उसे बचाओ रे।।
शांत है कटार, क्यों जुबां तुम्हारी मौन है।
होते टुकड़े मां के, तुमको रोकता वो कौन है।।
सरजमीं पुकारती उठो हो सोए तुम कहां।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
वो काफिले विदेश के, बसे जो हिंद में यहां।
जुंबा वो जिसने, हिंद देश के विरुद्ध कुछ कहा।
उठी नजर है आज जिसकी ताज-ए-हिंदोस्तान पर।
जुबां-नजर-वो काफिले, जला दो जलती आग पर।
निशान उन दरिंदों का, न बाकी रह सके यहां।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
सह लिया बहुत, न चुप रहेंगे अत्याचार से।
किया विनम्र आग्रह, न अब करेंगे बात प्यार से।
न होगी बंसी हाथ में, लिए बंदूकें-तोप से।
न अब रुकें-खड़ी भले हो लड़ पड़ेंगे मौत से।
विश्व पर चमकती-जलती हिंद की रहे शमां।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
पुकारती है कश्मीर की घाटियां तो आओ रे।
बिछड़ रहा वो स्वर्ग, उठ जरा उसे बचाओ रे।।
शांत है कटार, क्यों जुबां तुम्हारी मौन है।
होते टुकड़े मां के, तुमको रोकता वो कौन है।।
सरजमीं पुकारती उठो हो सोए तुम कहां।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
वो काफिले विदेश के, बसे जो हिंद में यहां।
जुंबा वो जिसने, हिंद देश के विरुद्ध कुछ कहा।
उठी नजर है आज जिसकी ताज-ए-हिंदोस्तान पर।
जुबां-नजर-वो काफिले, जला दो जलती आग पर।
निशान उन दरिंदों का, न बाकी रह सके यहां।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
सह लिया बहुत, न चुप रहेंगे अत्याचार से।
किया विनम्र आग्रह, न अब करेंगे बात प्यार से।
न होगी बंसी हाथ में, लिए बंदूकें-तोप से।
न अब रुकें-खड़ी भले हो लड़ पड़ेंगे मौत से।
विश्व पर चमकती-जलती हिंद की रहे शमां।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।
उठ जवान हिंद के, पुकारता है ये जहां।।
पुकारती है ये जमीं, पुकारता है आसमां।।